वक़्फ़ बोर्ड संसोधन अधिनियम 2024

 वक़्फ़ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2024 संसद में संशोधन हेतु पेश किया गया था, चूंकि भारी विरोध के कारण संसद के संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास पूर्णवलोकन के लिए अग्रेषित किया गया है।

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) आम लोगो के सुझाव जानने हेतु अपना ईमेल jpcwaqf-lss@sansad.nic.in जारी किया हैं।
E-mail भेजने का अंतिम तिथि 13-सितंबर-2024 है।

यदि आप वक़्फ़ बोर्ड संसोधन 2024 को निरस्त करने हेतु अपना सुझाव ईमेल करते है तो हो सके कि संयुक्त संसदीय समिति के सुझाव पर वक़्फ़ बोर्ड संसोधन अधिनियम 2024 रद्द हो जाये।

इस लिंक पर क्लिक करके एक पेज खुलेगा वह आपका नाम पूछेगा नाम दाखिल करके send email ऑप्शन पर दबाये सीधे आपके ईमेल/email पर जाएगा वह से सेंड करदे।

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वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन से नुकसान।


शक्तियों में कमीः यह वक्फ बोर्डों के अधिकारों को सीमित करता है, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की उनकी क्षमता प्रभावित होती है।

मुस्लिमों अधिकारों की चिंताः आलोचकों को चिंता है कि इससे उन मुस्लिम समुदायों के हितों को नुकसान पहुँच सकता है जो इन संपत्तियों का उपयोग धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये करते हैं।

सरकारी नियंत्रण में वृद्धिः जिला मजिस्ट्रेटों की भागीदारी और अधिक निगरानी से नौकरशाही का अत्यधिक हस्तक्षेप हो सकता है। धार्मिक स्वतंत्रता में बाधाः वक्फ संपत्तियों की देखरेख में ज़िला मजिस्ट्रेटों और अन्य सरकारी अधिकारियों की भागीदारी को धार्मिक स्वायत्तता पर अतिक्रमण के रूप में देखा जा सकता है।

संभावित विवादः ज़िला मजिस्ट्रेटों की भागीदारी जैसी नई सत्यापन प्रक्रियाएँ अधिक बिबाद और जटिलताएँ उत्पन्न कर सकती हैं।


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